Friday 29 June 2007

वो यादें...

मेरी ज़िंदगी में अब, सिर्फ़ आँसू ही बचे
ले गये होते इन्हे भी, छोड़ इन्हे आप चले
दिल को जाने क्या हुआ था, सोचने अब हम लगे
दिल लगाया था आपसे, आप ही अच्छे लगे
सावन आया नहीं अभी था फूल क्यों खिलने लगे?
झुलसाती गर्मी थी अभी तो बूँद क्यों गिरने लगी?
...पर चाहा था हमने आपको, आप हूमें चाहने लगे

याद करो उस दिन को जब हम पहली पहली बार मिले
हाथ थामा था हमारा, हम क़रीब आने लगे
साथ पाकर सच्चा आपका दुनियो को हम छोड़ चले

सच कहा था तब किसी ने प्यार कभी ना करना तुम
प्यार किया अगर किसी से दिल ना देना उसको तुम
दिल दिया अगर किसी को उम्मीदें ना करना तुम
उम्मीद करी अगर किसी से कभी ना रोना आख़िर में तुम

वक़्त आया है अभी तो आख़िरी लेकर सितम
रोशनी आई है लेकर साथ में बेरांग किरण
कुछ ना अब बचा है आकर दोबारा देखो सनम
अब तो हम सिर्फ़ याद करेंगे अपना वो मदहोश मिलन.

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Composed by Nitesh Jain (June 2001)